रुद्राष्टाध्यायी के अनुसार शिव ही रूद्र हैं और रुद्र ही शिव है। रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र: अर्थात रूद्र रूप में प्रतिष्ठित शिव हमारे सभी दु:खों को शीघ्र ही समाप्त कर देते हैं। वस्तुतः जो दुःख हम भोगते है उसका कारण हम सब स्वयं ही है हमारे द्वारा जाने अनजाने में किये गए प्रकृति विरुद्ध आचरण के परिणाम स्वरूप ही हम दुःख भोगते हैं।
रुद्राभिषेक एक पवित्र हिंदू प्रथा है जिसमें हिंदू देवताओं में सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक भगवान शिव की भक्ति शामिल है. "रुद्र" शब्द भगवान शिव के भयंकर रूप को दर्शाता है, जबकि "अभिषेक" का अर्थ है जल, पवित्र जल, दूध, शहद और अन्य प्रसाद से अभिषेक करना. वैदिक मंत्रों का पाठ करके भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया जाता है.